10 FAKE FOODS जो आपकी जान ले सकते है - 10 fake foods You won’t Believe Exist

10 FAKE FOODS जो आपकी जान ले सकते है - 10 fake foods You won’t Believe Exist

10 FAKE FOODS जो आपकी जान ले सकते है - 10 fake foods You won’t Believe Exist 



वो कहते है ना की इंसान बहुत कुछ छोड़ सकता है लेकिन खाना नहीं छोड़ सकता। वेल यकीन मानिए आज की वीडियो देखने के बाद आप बहुत कुछ खाना छोड़ सकते हैं। कोई इंसिडेंट ली अगर आप मिल्कशेक फ्रूट्स लीड या लज़ीज़ बिरयानी खाते हुए एक वीडियो देख रहे हैं तो आपको अपने फूड स्टोर्स पर भी शक होने लगेगा। ज़ाहिर सी बात है कि इन्डियन्स हर चीज़ में कॉंप्रमाइज़ कर सकते हैं। लेकिन फूड में हमें ज़रा भी कॉंप्रमाइज़ पसंद नहीं है। जनाब अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं तो चलिए आज ऐसे फेक फूड आइटम से आपका राब्ता कराते हैं जिन्हें शायद आप कौन स्यूम कर रहे हैं लेकिन आपको कानों कान खबर नहीं है ऐप्पल अनाप लदाय कीप्स डॉक्टर अवे। इस कहावत के चलते ही माँ बाप दबाकर बच्चों को सेब खिलाते हैं। उन्हें लगता है कि बच्चे भी कश्मीरी सेब की तरह लाल, खूबसूरत और चमकदार बन जाएंगे। बच्चों को छोड़कर जिम डाइट फॉलो करने वाले लोगों को देखें तो वो भी बड़े चाव से इस फूड को अपनी डाइट में रखते हैं। हम सभी जानते हैं कि सेब केवल कुछ लिमिटेड ही एरियाज़ में होते हैं। अब ज़रा टेक्निकल ही सोचिये। दिल्ली एरिया से चमकदार सेब 135,00,00,000 आबादी तक पहुंचाने के लिए मार्केट सप्लाइ अर्श क्या करते होंगे? ज्यादा कुछ नहीं, बस उसके रंग रूप से छेड़छाड़। दरअसल, मार्केट में सेब को ज्यादा वक्त तक नया और फ्रेश दिखाने के लिए उस पर वैक्स कोटिंग चढ़ाई जाती है। डॉक्टर्स का कहना है कि कम मात्रा में लगाई गई वैक्स हानिकारक नहीं है। लेकिन मुनाफ़े की होड़ में रिटेलर्स दबाकर वैक्स कोटिंग से सिपको चमकदार लाल बना देते है। वो इससे प्रोटीन के सोर्स से जानलेवा इन्फ़ेक्शन ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स और अल्सर का बाइप्रोडक्ट बना देते है। प्लास्टिक राइस सेब की हकीकत जानने के बाद अगर आप सोच रहे हैं कि आज से सिंपल दाल चावल खायेंगे।तो ज़रा ये भी जांच लीजियेगा की चावल कौनसे सोर्स से आ रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं की जिससे आप चावल समझकर खा रहे है, वो प्लास्टिक हैं? आप में से ज्यादातर लोग शायद जानते भी नहीं है की ऐसा कुछ एग्ज़िट भी करता है लेकिन प्लास्टिक चावल चाइना की देन हैं। इन्हें लोगों की सेहत से खेलने में कितना मज़ा आता है? ये तो पूरी दुनिया पहले ही देख चुकी है। प्लास्टिक चावल को भी इन्होंने भारत को इसी मंसूबे से एक स्पोर्ट करना शुरू किया, लेकिन हैदराबाद और सिकंदराबाद के रेस्ट्रॉन्ट में आने वाले कस्टमर्स ने प्लास्टिक चावल को पहचान लिया। उन्होंने इस पर शिकायत भी दर्ज की। इसके बाद ऐसे कई मामले सामने आए जहाँ लोग प्लास्टिक चावल की बॉल बनाकर। हवा में उछालते नजर आए। हाइकोर्ट में भी इस हरकत के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया। रॉबर्ट टैक्स संडे हो या मंडे, रोज़ खाओ अंडे नॉनवेज लवर्स इस कोड को कुछ ज्यादा ही शिद्दत से फॉलो करते हैं लेकिन इस बात की क्या गैरैन्टी है कि जो अंडे आप खा रहे हैं उससे मुर्गी ने ही दिया है। आपको ये बात बेतुकी जरूर लग रही होगी, लेकिन रिऐलिटी यही है कि मार्केट में रबर एक्स भी एक्सिस्ट करते हैं। विदेश छोड़िए खुद भारत के लखनऊ और केरला के इडुक्की और एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट में ऐसी खबर आ चुकी है जहाँ लोगों ने रबर के अंडे बिकने की शिकायत दर्ज की है। लोगों का मानना था कि इन अंडों को चाइनीज फ़ैक्ट्रीज़ में टॉक्सिन और प्लास्टिक से बनाया जा रहा था। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने तो रबर के अंडे चलाकर भी दिखा दिए। ये मामले इसीलिए सामने आए क्योंकि रबर एक्स का कारोबार छिपते छिपाते देश विदेश में सभी जगह जारी है। इस कारोबार में अंडों को कैल्शियम कार्बोनेट पर फॉरेन वैक्स जिप्सम पाउडर से बनाया जाता है और जानते हैं कि ये मिलावटखोरी किसके दिमाग की उपज है। ये कोई और नहीं बल्कि चाइना है। नूडल्स अब चाइना की बात हो ही रही है तो ज़रा इनकी आर्टिफिशियल नूडल्स की करामत भी सुन लीजिये। इस देश के इन्टेलिजन्ट माइंडस को हर चीज़ में छेड़छाड़ करने की ना जाने कौन सी बिमारी है। इन्होंने अपनी ही डिश नूडल्स तक को नहीं छोड़ा है। दरअसल, जब चाइना में बचा कुचा खराब अनाज रह जाता है तो उसे कौन स्यूम करने के लिए? ये उसे नूडल्स का ही शेप दे डालते हैं। फैक्टरी में ले जाकर इन्होंने सड़े बदबूदार अनाज से भी मुनाफा कमाना सीख लिया। फिर चाहे उसमें लोगों की हेल्थ ही दांव पर लग जाए। सड़े अनाज से नूडल्स बनाकर उसकी बदबू छिपाने के लिए इस का इस्तेमाल करते हैं जिससे नूडल्स का रंग, रूप और स्वाद तो निखर जाता है। लेकिन यह पकवान बीमारियों का घर बन जाता है। इससे सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा धीरे धीरे इंसान के शरीर में जाती है और उन्हें कैंसर का मरीज बना देती है। मिल्क कैंसर की बात आ ही गयी है तो ज़रा उस फूड आइटम को भी जान लीजिये जो भारत में बड़े नंबर पर लोगों को कैंसर का शिकार बना सकती हैं। हम बात कर रहे हैं। मिल्क की यकीन मानिए अगर आप दूध ट्रस्टेड सोर्स से नहीं खरीद रहे हैं तो इसका कन्सम्शन जरूर कम कर दीजिये। खुद ऐफ़ एस एस ए आइ की 2016 की रिपोर्ट कहती है कि भारत में लगभग अड़सठ प्रतिशत मिल्क और मिल्क आइटम्स एफएसएसएआई के मानक को पर खरा नहीं उतरते हैं। इसमें मिलावट इतनी ज्यादा है। की आने वाले भविष्य में लोग ओर्गन, फेल्यर, हार्ट प्रॉब्लम, ब्लड कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। रिपोर्ट का तो यहाँ तक कहना है कि भारत में हर तीन में से दो लोग ऐडल्ट रेटेड मिल्क कौन स्यूम करते हैं? डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ने तो यहाँ तक दावा किया है कि 2025 तक भारत की 87% आबादी। कैंसर जैसी बिमारी का शिकार हो सकती है। भारत दूध का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर जरूर है, लेकिन यहाँ दूध में केवल पानी ही नहीं मिलाया जा रहा बल्कि यूरिया, डिटर्जेंट, पेन्ट, न्यूट्रलाइजर्स, असिडिटी, हाइड्रोजन परॉक्साइड, फॉर्मल इन अन्न, वेजीटेबल सॉल्ट और ग्लूकोस जैसी न जाने कितनी चीजें मिलाई जा रही है। व्हाइट रेड मिलावट का शिकार केवल दूध ही नहीं बल्कि दूध के साथ खाई जाने वाली ब्रेड भी है। कभी सोचा है कि कई ग्रेन से मिलाकर बनाई जाने वाली ब्रेड इतनी सफेद कैसे रहती है? ज़ाहिर सी बात है जब तरह तरह के ग्रेन साथ में मिलाए जाते हैं तो ब्रेड का काला होना लाजमी है। लेकिन नाश्ते में खाई जाने वाली ब्रेड तो सफेद होती है। जानते हैं कैसे? वो इसलिए क्योंकि उसमें गेहूं और बाकी के साथ पोटैशियम ब्रोमेट भी मिलाया जाता है। ये केमिकल केवल ब्रेड को व्हाइट ही नहीं बनाता बल्कि इलास्टिसिटी बढ़ाता है। रिसर्च में पाया गया है कि इस केमिकल के चलते लोगों में कैंसर होने की चान्सेस बढ़ जाते हैं। इसीलिए कई देशों में ब्रेड में। के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है, लेकिन भारत में एफएसएसएआइ के रिस्ट्रिक्शन के बाद भी मैन्युफैक्चरर्स इसे कहीं ना कहीं इस्तेमाल करते हैं। सॉल्ट अगर हम कहें कि जो नमक आप खा रहे हैं, उसमें भी एक बड़ा झोल हो सकता है, तो आपका रिऐक्शन क्या होगा? इन्डियन्स का सॉल्ट और स्पाइस इन टेक दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा रहता है। लेकिन दिलचस्प बात है कि दौर में के दौर में मुनाफाखोरों ने नमक को भी नहीं बख्शा है। दरअसल, कुछ लोग नमक बनाने के बजाय क्लास और पॉलिस्टर से सस्ती इंडस्ट्रियल सॉल्ट बनाते है और इसे बाजार में खुलेआम बेचते हैं। दरअसल शुद्ध नमक बनानेकी प्रोसैस काफी एक्स्पेन्सिव होती है इसीलिए सस्ते में काम निपटाने के लिए। लोगों की सेहत से क्या जाता है? इससे बचने का बस एक ही तरीका है कि नमक हमेशा वेरिफाइड ब्रैन्डस से ही खरीदे। पेरिस वेजीटेबल मटर पुलाव, आलू, मटर, मटर, पनीर और मटर मशरूम जैसी और भी कई पकवान हैं जिनमें मटर मेन की तरह होता है। लेकिन अगर आप सुपरमार्केट से इन्वर्टर को खरीद रहे हैं। उस समझ लीजिए कि मटर के नाम पर आपको बेवकूफ बनाया जा रहा है। पैकेट में मिलने वाले ये हरे मटर असल में सोयाबीन होते हैं जिनमें सोडियम मेटाबाईसल्फाइट मिलाया जाता है। इससे केवल मर्डर का रंग ही निखरकर नहीं आता बल्कि ये घातक प्रॉडक्ट बन जाता है। ऐसे आपकी हड्डियाँ तक गला सकते हैं। इसकी मटर को भी मटर को पॉलिश। प्रिज़न टेबल बनाने के लिए केमिकल में कई केमिकल्स मिलाए जाते हैं जो इंसान के शरीर को धीरे धीरे अंदर से खोखला कर देते हैं। मीट? सूपर मार्केट में मिलने वाले पैड मटन को लोग कितने चाव से खाते हैं, ना डिफरेंट शेप और साइज में कटे हुए इस मटन के काफी लोग शौकीन हैं। लेकिन ये आता कहाँ से है और इसे कैसे तय किया जाता है, ये जानने की कोशिश कोई नहीं करता। अब ज़ाहिर सी बात है कि इतना दिमाग कौन लगाया है? लेकिन जनाब जब स्टॉक बेचने के बाद मटन के बच्चे कुचे बचते हैं तो उन्हें थोड़ा जेब में जोड़ा जाता है। ऐसे में उन्हें एक साथ चिपकाने के लिए ट्रांसलेट एमिनेंस मीट ग्लू का इस्तेमाल होता है। ट्रैन्स्लैट लैमिनेट्स मीट के प्रोटीन को एक साथ जोड़ तो देता है लेकिन यह हमारी सेहत बेहद खतरनाक है। बट जब आप उस मटन को आते हैं तो ये कह तो ये केमिकल भी आपकी बॉडी में इंटर करता है। और ब्रेन में न्यूरोलॉजिकल 

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