10 सबसे कीमती चीजें जो कभी भारत की थीं - Top 10 Precious Things India Ever Had

10 सबसे कीमती चीजें जो कभी भारत की थीं - Top 10 Precious Things India Ever Had

 Top 10 Precious Things India Ever Had - 10 सबसे कीमती चीजें जो कभी भारत की थीं 


इतिहास बताता है कि एक दौर वो भी था जब दुनिया भर का खजाना भारतीय बाजारों में इकट्टा था। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। यहाँ के शाही राजा पहनने से लेकर सोने चांदी के बर्तनों में खाया पिया करते थे। अब इसी से अंदाजा लग जाता है कि यहाँ एक नहीं बल्कि कई बेशकीमती वस्तुएं हुआ करती थीं जिनकी कीमत कई देशों के मम्मी के बराबर हुआ करती थी। इसलिए आज हम आपको 10 ऐसी ही एक्स्पेन्सिव चीजों से रूबरू कराने वाले हैं जो भारत के इतिहास का हिस्सा रही हैं। डायमन्ड भारत के कोहिनूर के ब्रिटेन पहुंचने की कहानी तो हर कोई जानता है लेकिन आप ये नहीं जानते होंगे कि साल 1818 में नाशक डाइमंड भी भारत से गायब हुआ था। बताया जाता है कि किसी जमाने में गोलकोंडा की कोल्लूर माइंड से निकला यही रहा त्र्यंबकेश्वर मंदिर में शिव जी के श्रृंगार का हिस्सा हुआ करता था। कई सदियों तक किसी मंदिर में रहने के बाद मराठा वॉर के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे ब्रिटिश जूनियर्स को बेच दिया था। वक्त के साथ इसे कई बार खरीदा बेचा जरूर गया, लेकिन 43.38 कैडेट्स का यह हीरा। आज 11 के एक प्राइवेट म्यूज़ियम में पड़ा है अमरावती मार्बल्स ब्रिटिश म्यूज़ियम में सच है ये खूबसूरत 120 कल्चर और इन्स्क्रिप्शन का बौद्ध धर्म में एक खास महत्त्व है क्योंकि ये शिलालेख एक भव्य बहुत सूप का हिस्सा हुआ करते थे। 1845 में पहली बार इन्हें स्तूप की खुदाई के दौरान खोजा गया था। केरी जातक कथाएं बताती हैं कि ये बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई हैं लेकिन इन्हें खोजनेवाले सर वॉल्टर इलियट थे, इसलिए इनका ब्रिटेन जाना पक्का था। आज ये खूबसूरत मार्बल्स लंदन के ब्रिटिश म्यूज़ियम में जरूर रखे गए हैं, लेकिन इनका इतिहास हिंदुस्तान से जुड़ा हुआ है। थ्रोन ऑफ महाराजा रणजीत सिंह अफसोस की बात है कि जीस सिंहासन पर महाराजा रणजीत सिंह बड़ी शान से विराजते थे। वो भी आज भारत से दूर अंग्रेजों के म्यूज़ियम में पड़ा है। इस सिंहासन को बनाने वाले क्रिएटर एक मुस्लिम सुनार थे, जिन्होंने लकड़ी और सोने के इस तख्तो ताज को तैयार किया था। सुनने में आता है कि सिखों के महाराज होने के बाद भी रंजीत सिंह जमीन पर बैठना पसंद करते थे और कुछ शाही मौकों पर ही सिंहासन का इस्तेमाल करते थे। लेकिन जल्द ही उनके सिंहासन पर ब्रिटिशर्स की नजर पड़ गई और साले टीन 49 में उन्होंने इस पर कब्जा जमा लिया और उसे ब्रिटेन भेज दिया। पटियाला हाउस ने क्लेअर्स चमचमाते इस नेकलेस को कभी पटियाला के महाराज भूपिंदर सिंह के लिए बनाया गया था। इसे बनाने का काम हाउस ऑफ कार्टियर्स ने किया था। अनोखी बात थी कि एक कॉलर और पांच चेन के साथ इस नेकलेस में करीब 3000 डायमंड जड़े हुए थे। देखने में इतना शानदार था कि इस हार के चर्चे भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में होने लगे थे। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसमें दुनिया का सातवाँ सबसे बड़ा हीरा लगाया गया था। लेकिन दुख की बात है कि 1948 मैं इसे पटियाला के शाही खजाने से चुरा लिया गया। आखिरी बार ये नेकलेस भूपेंद्र सिंह के बेटे ने पहना था, जिसके बाद उसे कभी भी सबूत स्थिति में नहीं देखा गया। हाल ही में इस नेकलेस के को कंबल लेने नट गला के लिए पहना था, जिसके लिए उनकी काफी निंदा भी हुई थी। दरअसल कहते हैं कि इस नेकलेस के पीछे का इतिहास काफी काला रहा है। शाहजहाँ रॉयल जेड वाइन का आप? एक आलीशान महल और राजसी ठाठबाट में रहने के अलावा मुगल बादशाह शाहजहाँ के पास एक नायाब शराब का प्यारा भी था, जिसमें वो बड़ी शान से जाम के घूंट लगाया करते थे। हालांकि सफेद रंग के इस प्याले को खास शाहजहाँ के लिए बनाया गया था, लेकिन इसे बनाने वाले आर्टिस्ट कौन था इसका इतिहास में कोई जिक्र नहीं मिलता। अतीत के पन्ने बताते हैं। ओके 10.7 सेंटीमीटर लंबा ये प्याला 1857 के बाद कर्नल चार्ल्सटन को मिल गया था। उसके बाद ये कई लोगों को बेचा गया। लेकिन आज इसकी मौजूदगी हमें विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूज़ियम में मिलती है। सुल्तानगंज बुद्धा 2.3 मीटर ऊंची और 500 किलो वजनी इस मूर्ति को शायद आप पहली बार देख रहे हो। लेकिन ये मेटैलिक स्कल्पचर सुल्तानगंज बुद्ध का है, जो 1861 में भागलपुर के सुल्तानगंज में पाया गया था। इसे एक रेलवे इंजीनियर ने £200 में गेम के एक मेटल मैन्युफैक्चरर को बेच दिया था और इस तरह से भारत का ये नायाब स्कल्पचर भी दूसरे देश पहुँच गया था। आज ये हमें के म्यूजियम में रखा हुआ मिलता है। इसके इतिहास पर नजर डालें। तो ये 500 से 700 एडी के बीच तब बनाया गया था जब भारत पर गुप्ता पाला राजवंश का शासन हुआ करता था। बौद्ध भगवान की मूरत हमें गुप्त और पल डाइनैस्टी की मूर्तिकला के बारे में बहुत कुछ बताती है। टीपू सुल्तान रिंग, छोटा कद लेकिन तलवारबाजी में ऊंची पकड़ रखने वाले बादशाह टीपू सुल्तान का नाम। आज भी इतिहास के पन्नों में अमर है। मैसूर के इस राजा को लोग एक बहादुर योद्धा की तरह देखते हैं जिसने आखिरी सांस तक हार नहीं मानी और यही वजह रही कि बादशाह की बेशकीमती तलवार और अंगूठी पर अंग्रेजों की नजर पड़ गई।

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दरअसल 1799 में श्रीरंगपटना के युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ़ लड़ते हुए वो मर गए, जिसके बाद ब्रिटिशर्स ने उनकी 41.2 ग्राम्स की कीमती अंगूठी और तलवार पर अपना हक जमा लिया। हालांकि उनके तलवार को तो नीलामी में ₹1.5,00,00,000 देकर विजय माल्या ने अपना बना लिया था, लेकिन सुल्तान की सोने की बेशकीमती अंगूठी को 2014 में वन £45,000 की कीमत पर नीलाम कर दिया गया। और इसे खरीदने वाले कौन थे, ये आज तक सामने नहीं आया। टीपू स्टाइ घर टीपू सुल्तान की अंगूठी ही नहीं बल्कि इस बादशाह का बाग भी आज लंदन के विक्टोरिया ऐल्बर्ट म्यूज़ियम की शोभा बढ़ा रहा है। ये बाग मशीनी कला का एक नमूना है जिसे खास तौर पर टीपू सुल्तान के लिए बनाया गया था। इस मूर्ति में बाघ को एक ब्रिटिश सैनिक को मारता हुआ दर्शाया गया है। जो टीपू सुल्तान की ब्रिटिशर्स के प्रति दुश्मनी का सिंबल था। टीपू सुल्तान के मरने के बाद उनके इस बाघ को लॉर्ड मॉर्निंग टन ने ब्रिटेन भिजवा दिया था और तभी से यह ब्रिटेन के म्यूजियम में रखा हुआ है। इसलिए अगर आप कभी लंदन जाएं तो मैसूर के राजा की इस खास निशानी को जरूर देखें। बेक ऑफ थ्रोन मुगलों की शानो शौकत और राजसी सत्ता का प्रतीक मयूर सिंहासन को बनाने वाले बादशाह शाहजहाँ थे। हीरे जवाहरात और सोने से जुड़े इस सिंहासन को उन्होंने ताजपोशी के लिए बनवाया था। इसके दोनों हिस्सों में मोर की आकृति के चलते इसे मयूर सिंहासन कहकर बुलाया जाता था। वहीं फारसी में इसे तख्ते ताउस भी कहा जाता था। शाहजहाँ ने अपने इस नायाब सिंहासन को आग्रा के किले में रखवाया था, जहाँ शाही दरबार में आने वाले लोग इसकी खूबसूरती को निहारते थे। इस सिंहासन की खासियत थी कि इसमें विदेशों से हीरे, हीरे, अनमोल पत्थर और माणिक जड़े गए थे। मयूर की चोंच पर मोती लगाए गए थे, जबकि उनके सीने में लाल माणिक लगाए गए थे। ये तख्तो ताज अपने आप में मुगलों की शान था। पर अफसोस आज ये सेंट्रल बैंक ईरान के नेशनल ट्रेजर का हिस्सा है। दरअसल सन 1739 में नादिर शाह ने दिल्ली पर कब्जा किया था, जिसके बाद वो मयूर सिंहासन को अपने साथ पर्शिया ले गए। बता दें कि आज इसकी कीमत लगभग 5.5 बिलियन डॉलर्स है। कोहिनूर इंग्लैंड की रानी के ताज पर सजे कोहिनूर के तार? आज भी भारतीय इतिहास से जुड़े हैं। ये खूबसूरत हीरा दुनिया के सबसे बड़े कटे हुए हीरो में से एक होने के साथ साथ सबसे मशहूर भी रहा है। अब मशहूर इसलिए क्योंकि भारत में इसे जिंस भी राजा ने अपनाया। उसका वंश बर्बाद हो गया। कई लोगों ने ऐसे शापित ठहराया तो कहीं इसकी कीमत नहीं समझ पाए। लेकिन यह हीरा भारत के सबसे बेशकीमती खजाने में से एक रहा है। नाइन सैवन नाइन थ्री के साथ कोहिनूर को सबसे पहले आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा क्षेत्र से निकाला गया था। फिर पीढ़ी दर पीढ़ी के पास रहा और आखिर में अंग्रेजों ने जब लाहौर पर आक्रमण किया तो महाराजा दिलीप सिंह से यही रहा। अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। इंग्लैंड में इस हीरे ने सबसे पहले क्वीन विक्टोरिया के ताज की शोभा बढ़ाई और आज ये। क्वीन एलिजाबेथ के तर्ज पर सजा हुआ है। दिलचस्प बात है की आप कोहिनूर 105.6 कैरेट का रह गया है। इसकी करेंट कीमत 10 से 12 बिलियन डॉलर्स के करीब है। तो ये थी 10 ऐसी बेशकीमती चीज़ है जो कभी भारत के खजाने का हिस्सा हुआ करती थी। आज ये देश से दूर लंदन के म्यूजियम में जरूर हैं लेकिन इनकी कीमत बहुमूल्य है। और कहीं ना कहीं भारत आज भी इनकी घर वापसी की उम्मीद लगाए बैठा है। फिलहाल आज के लिए हम आपसे विदा लेते हैं। भारत की अनमोल संपत्ति से जुड़ा ये वीडियो आपको कैसा लगा, हमें कॉमेंट्स एक्शन में जरूर बताएं। अगर ये विडिओ पर सिखाया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर दे और हाँ को लिंक करना ना भूलें। अपने और अगर आप चैनल को अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया है तो वो भी करदे साथ ही बेलकिन प्रेस करना बिल्कुल ना भूलें ताकि हमारी विडिओ आप तक जल्द से जल्द पहुँच सके 

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